494
इस संबल के बल पर ही ,
जीत हिमालय को आते है ।
गढ़कर कश्ती अरमानों की,
"निश्चल" सागर से टकराते है ।
...
495
आप जरा चलकर तो देखो ।
कागज़ सा गलकर तो देखो ।
बन जाएगा एक बुत कोई ,
"निश्चल"सा मचलकर देखो ।
.....
496
चलो कोई तो बहाना मिला ।
साथियों का सहारा मिला ।
एक बहाने से ही मिले सभी ,
बहाने को भी बहाना मिला।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
497
बहुत खूब कहा,बा-खूब कहा ।
अश्क़ स्याही ने,दुनियाँ दस्तूर कहा ।
लूटता ही रहा,जमाना अक्सर मुझे ।
और जमाने को,मैंने मेहबूब कहा ।
...
498
इस जाम का कोई अंजाम तो होगा।
उस शाम का कोई पैगाम तो होगा ।
शुरू ही हुआ ये सफ़र अभी अभी ,
रुकना नही कहीं मुक़ाम जो होगा ।
....
499
आगम निर्गम से रिक्त हृदय ,
करता ना कोई प्रतिकार ।
शांत हृदय पा जाता ,
अंनत अंतरिक्ष सा बिस्तार ।
....
500
गुजरती गुजर, रही ज़िंदगी ।
ठहरती ठहर, रही जिंदगी ।
बदलते कब, अब हालात है,
मचलती ग़जल, रही जिंदगी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
501
नज़्म अल्फ़ाज़ उसकी,
सँवार दी जरा जरा ।
रुख़सार गिरी ज़ुल्फ़ को ,
यूँ हवा दी जरा जरा ।
..502
स्तनपान दिवस पर दो शब्द
वो भी एक साहित्य सा होगा ।
जो उस आँचल को छुआ होगा ।
जागी होगी ममता नीरव सी ,
मातृत्व सुख जब जिया होगा ।
... *विवेक दुबे"निश्चल"*@...
डायरी 3
इस संबल के बल पर ही ,
जीत हिमालय को आते है ।
गढ़कर कश्ती अरमानों की,
"निश्चल" सागर से टकराते है ।
...
495
आप जरा चलकर तो देखो ।
कागज़ सा गलकर तो देखो ।
बन जाएगा एक बुत कोई ,
"निश्चल"सा मचलकर देखो ।
.....
496
चलो कोई तो बहाना मिला ।
साथियों का सहारा मिला ।
एक बहाने से ही मिले सभी ,
बहाने को भी बहाना मिला।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
497
बहुत खूब कहा,बा-खूब कहा ।
अश्क़ स्याही ने,दुनियाँ दस्तूर कहा ।
लूटता ही रहा,जमाना अक्सर मुझे ।
और जमाने को,मैंने मेहबूब कहा ।
...
498
इस जाम का कोई अंजाम तो होगा।
उस शाम का कोई पैगाम तो होगा ।
शुरू ही हुआ ये सफ़र अभी अभी ,
रुकना नही कहीं मुक़ाम जो होगा ।
....
499
आगम निर्गम से रिक्त हृदय ,
करता ना कोई प्रतिकार ।
शांत हृदय पा जाता ,
अंनत अंतरिक्ष सा बिस्तार ।
....
500
गुजरती गुजर, रही ज़िंदगी ।
ठहरती ठहर, रही जिंदगी ।
बदलते कब, अब हालात है,
मचलती ग़जल, रही जिंदगी ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 3
501
नज़्म अल्फ़ाज़ उसकी,
सँवार दी जरा जरा ।
रुख़सार गिरी ज़ुल्फ़ को ,
यूँ हवा दी जरा जरा ।
..502
स्तनपान दिवस पर दो शब्द
वो भी एक साहित्य सा होगा ।
जो उस आँचल को छुआ होगा ।
जागी होगी ममता नीरव सी ,
मातृत्व सुख जब जिया होगा ।
... *विवेक दुबे"निश्चल"*@...
डायरी 3
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