462
वो जाम सा अंजाम था ।
निग़ाहों से अपनी हैरान था ।
नही था कोई रिंद वो साक़ी,
जिंदगी उसका ही नाम था ।
....
463
निगाहों को निग़ाहों से धोका हुआ है ।
ज्यों जागकर भी कोई सोया हुआ है ।
झुकीं हैं निग़ाहें यूँ हर शख़्स की क्युं ,
ज्यों निग़ाहों का निग़ाहों से सौदा हुआ है ।
....
464
चलते रहो साथ हर दम मगर,
बातें वफ़ा की किया ना करो ।
घुटते हों अरमां जहाँ दिल में ,
वो ज़िंदगी तुम जिया ना करो ।
...
465
तू चला जिस सफ़र पर
उस का मुक़ाम होगा कोई ।
ढल जाए जो शाम कहीं ,
सुबह का अंजाम होगा कोई ।
विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 3
वो जाम सा अंजाम था ।
निग़ाहों से अपनी हैरान था ।
नही था कोई रिंद वो साक़ी,
जिंदगी उसका ही नाम था ।
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463
निगाहों को निग़ाहों से धोका हुआ है ।
ज्यों जागकर भी कोई सोया हुआ है ।
झुकीं हैं निग़ाहें यूँ हर शख़्स की क्युं ,
ज्यों निग़ाहों का निग़ाहों से सौदा हुआ है ।
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464
चलते रहो साथ हर दम मगर,
बातें वफ़ा की किया ना करो ।
घुटते हों अरमां जहाँ दिल में ,
वो ज़िंदगी तुम जिया ना करो ।
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465
तू चला जिस सफ़र पर
उस का मुक़ाम होगा कोई ।
ढल जाए जो शाम कहीं ,
सुबह का अंजाम होगा कोई ।
विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 3
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