छुपता रहा , छुपाता रहा ।
आज को युं, बचाता रहा ।
लगा मुखोटा खुशियों का ,
हाल अपना दिखता रहा ।
आता रहा जाता रहा ।
आब को मिलाता रहा ।
समंदर से दरिया का ,
बस इतना नाता रहा ।
खिलता रहा झडता रहा ।
उजड़ता रहा बसता रहा ।
बदलता रहा बागवां भी,
और गुलशन पलता रहा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
आज को युं, बचाता रहा ।
लगा मुखोटा खुशियों का ,
हाल अपना दिखता रहा ।
आता रहा जाता रहा ।
आब को मिलाता रहा ।
समंदर से दरिया का ,
बस इतना नाता रहा ।
खिलता रहा झडता रहा ।
उजड़ता रहा बसता रहा ।
बदलता रहा बागवां भी,
और गुलशन पलता रहा ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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