मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

कुछ तैयारी कर लें

शब्दों की कुछ तैयारी कर लें ।
नज़्मों से थोड़ी यारी कर लें ।

सहज करें अपने गीतों को ,
आवाजें अपनी प्यारी कर लें ।

छोड़ें बातें सब जात धर्म की ,
मन मानवता को धारी कर लें ।

प्रेम प्यार गढ़ कर गीतों में ।
दुनियाँ अपनी न्यारी कर लें ।

 ना सूखे मन , मन के आगे ,
"निश्चल" मन फुलवारी कर लें ।

शब्दों की कुछ तैयारी कर लें ।
नज़्मों से थोड़ी यारी कर लें ।

...विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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