शब्दों की कुछ तैयारी कर लें ।
नज़्मों से थोड़ी यारी कर लें ।
सहज करें अपने गीतों को ,
आवाजें अपनी प्यारी कर लें ।
छोड़ें बातें सब जात धर्म की ,
मन मानवता को धारी कर लें ।
प्रेम प्यार गढ़ कर गीतों में ।
दुनियाँ अपनी न्यारी कर लें ।
ना सूखे मन , मन के आगे ,
"निश्चल" मन फुलवारी कर लें ।
शब्दों की कुछ तैयारी कर लें ।
नज़्मों से थोड़ी यारी कर लें ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
नज़्मों से थोड़ी यारी कर लें ।
सहज करें अपने गीतों को ,
आवाजें अपनी प्यारी कर लें ।
छोड़ें बातें सब जात धर्म की ,
मन मानवता को धारी कर लें ।
प्रेम प्यार गढ़ कर गीतों में ।
दुनियाँ अपनी न्यारी कर लें ।
ना सूखे मन , मन के आगे ,
"निश्चल" मन फुलवारी कर लें ।
शब्दों की कुछ तैयारी कर लें ।
नज़्मों से थोड़ी यारी कर लें ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@..
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