आदमी को मारता आदमी ।
बेमौसम बहार सा आदमी ।
दोष होना नही है लाज़मी ,
चढ़ता बलि निर्दोष आदमी ।
...
कैसा आया आज सबेरा है।
दिन का अंधियारा गहरा है ।
हर रहा आज प्राण वही ,
रहता जिसका पहरा है ।
...
Up पुलिस बर्बरता पर दो शब्द
डायरी 5(160)
बेमौसम बहार सा आदमी ।
दोष होना नही है लाज़मी ,
चढ़ता बलि निर्दोष आदमी ।
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कैसा आया आज सबेरा है।
दिन का अंधियारा गहरा है ।
हर रहा आज प्राण वही ,
रहता जिसका पहरा है ।
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Up पुलिस बर्बरता पर दो शब्द
डायरी 5(160)
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