मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

एक कहानी लिख दो

मेरे गीतों में एक कहानी लिख दो ।
दिन बचपन के वो जवानी लिख दो ।

अलसाई सुबह सुरमई साँझ मंजर ,
जागतीं रातों की निशानी लिख दो ।

बिखेर कर गेसू-ऐ-आँचल सा मुझे ,
 हंसीं रातों की रवानी लिख दो ।

भिंगोकर ज़ज्बात निग़ाह से मेरी ।
यूँ कुछ हर बात सुहानी लिख दो ।

पिरोकर लफ्ज़ लफ्ज़ में अपने ,
 एक नज़्म तुम दीवानी लिख दो ।

 कह कर एक ग़जल पैगाम सी ,
"निश्चल" एक मेहरवानी लिख दो ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5

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