मेरे गीतों में एक कहानी लिख दो ।
दिन बचपन के वो जवानी लिख दो ।
अलसाई सुबह सुरमई साँझ मंजर ,
जागतीं रातों की निशानी लिख दो ।
बिखेर कर गेसू-ऐ-आँचल सा मुझे ,
हंसीं रातों की रवानी लिख दो ।
भिंगोकर ज़ज्बात निग़ाह से मेरी ।
यूँ कुछ हर बात सुहानी लिख दो ।
पिरोकर लफ्ज़ लफ्ज़ में अपने ,
एक नज़्म तुम दीवानी लिख दो ।
कह कर एक ग़जल पैगाम सी ,
"निश्चल" एक मेहरवानी लिख दो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5
दिन बचपन के वो जवानी लिख दो ।
अलसाई सुबह सुरमई साँझ मंजर ,
जागतीं रातों की निशानी लिख दो ।
बिखेर कर गेसू-ऐ-आँचल सा मुझे ,
हंसीं रातों की रवानी लिख दो ।
भिंगोकर ज़ज्बात निग़ाह से मेरी ।
यूँ कुछ हर बात सुहानी लिख दो ।
पिरोकर लफ्ज़ लफ्ज़ में अपने ,
एक नज़्म तुम दीवानी लिख दो ।
कह कर एक ग़जल पैगाम सी ,
"निश्चल" एक मेहरवानी लिख दो ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें