मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

कर संघर्ष

कर संघर्ष परिस्थितियों से ,
ढाल अपने अनुसार उन्हें ।

चाहता है विजय जिन पर,
ले कर आ रण संग्राम उन्हें ।

  गढ़ सुगढ़ रक्षा कवच ,
  हर प्रहार से पहले ।

  कर ले सुरक्षित स्वयं को ,
  आते हर रोग से पहले ।

   है संकल्प दृण जीत का ।
 आधार सुरक्षा नींव का ।

 खींच रेखाएं चहुँ और ज्ञान से ।
 दूरकर तिमिर अज्ञान ज्ञान से ।

 रोक ले संकट पहले प्रयास से ।
 रख सुरक्षित मुश्किल इलाज़ से ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
डायरी 5(161)
Blog post 2/10/18


कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...