बुधवार, 3 अक्तूबर 2018

वामा छंद

वामा छंद
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वो शब्द बिछाता आज यहाँ ।
जो भाव सजाता साज यहाँ ।

सीधे चलते जाते पास यहीं ।
गाते मिलते आते आस यहीं।

संजो अभिलाषा साथ सभी ।
 लेता चल आशा साथ सभी ।

 भानू नभ छूता साँझ तभी ।
 चँदा सज पाता साँझ तभी ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(156)

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