वामा छंद
221 122 211 2
वो शब्द बिछाता आज यहाँ ।
जो भाव सजाता साज यहाँ ।
सीधे चलते जाते पास यहीं ।
गाते मिलते आते आस यहीं।
संजो अभिलाषा साथ सभी ।
लेता चल आशा साथ सभी ।
भानू नभ छूता साँझ तभी ।
चँदा सज पाता साँझ तभी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(156)
221 122 211 2
वो शब्द बिछाता आज यहाँ ।
जो भाव सजाता साज यहाँ ।
सीधे चलते जाते पास यहीं ।
गाते मिलते आते आस यहीं।
संजो अभिलाषा साथ सभी ।
लेता चल आशा साथ सभी ।
भानू नभ छूता साँझ तभी ।
चँदा सज पाता साँझ तभी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(156)
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