शनिवार, 1 दिसंबर 2018

मैं तो समय के पार है ।

ये मैं नही मेरे विचार हैं ।
मैं तो समय के पार है ।
न रहकर भी रहा यही जो,
सत्य का यही आकार है । 

छाते मेघ विचार निरन्तर ,
विचारों का अंनत विस्तार है ।
 देखे शान्त मन विचारों को ,
तब मन चिंतन करे शृंगार है ।

... विवेक दुबे "निश्चल"@..

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...