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एक मीठी सी छुअन है ।
बौराया सा ये मन है ।
सुगंध उठे है बसंती ,
पुलकित सा ये तन है ।
ये मधु मास अविनि का ,
आगत बसंत आगमन है ।
ऋतु राज छाया मौसम पे ,
मोहित वसुधा हर कन है ।
चूनर ओढ़ी धानी परिधानी ,
शृंगारित धरा पल छिन है ।
... विवेक दुबे"निश्चल" @..
डायरी 6(129)
एक मीठी सी छुअन है ।
बौराया सा ये मन है ।
सुगंध उठे है बसंती ,
पुलकित सा ये तन है ।
ये मधु मास अविनि का ,
आगत बसंत आगमन है ।
ऋतु राज छाया मौसम पे ,
मोहित वसुधा हर कन है ।
चूनर ओढ़ी धानी परिधानी ,
शृंगारित धरा पल छिन है ।
... विवेक दुबे"निश्चल" @..
डायरी 6(129)
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