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एक आस सी ।
साँस साँस सी ।
बुत निग़ाह रही,
अधूरी प्यास सी ।
दरिया की रवानी,
बहती कयास सी ।
थम गया समंदर ,
मौजें भी पास सी ।
फ़ना हर लम्हा ,
जिंदगी ख़ास सी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(132)
एक आस सी ।
साँस साँस सी ।
बुत निग़ाह रही,
अधूरी प्यास सी ।
दरिया की रवानी,
बहती कयास सी ।
थम गया समंदर ,
मौजें भी पास सी ।
फ़ना हर लम्हा ,
जिंदगी ख़ास सी ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 6(132)
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