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कुछ बांधे बंधन ।
कुछ काटे बंधन ।
जीवन की आशा में,
दग्ध हृदय तपता तन ।
एक साँझ तले ,
मिलता जीवन ।
तरुवर की छाँया में ,
शीतल उर "निश्चल"मन ।
...विवेक दुबे...
तरुवर-- परमात्मा ब्रम्ह
उर -- हृदय
डायरी 6(131)
कुछ बांधे बंधन ।
कुछ काटे बंधन ।
जीवन की आशा में,
दग्ध हृदय तपता तन ।
एक साँझ तले ,
मिलता जीवन ।
तरुवर की छाँया में ,
शीतल उर "निश्चल"मन ।
...विवेक दुबे...
तरुवर-- परमात्मा ब्रम्ह
उर -- हृदय
डायरी 6(131)
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