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मान मिले सम्मान मिले ।
अपनो में पहचान मिले ।
रहें सदा नयनों के आंगे ,
चरणों में चाहे स्थान मिले ।
हार चलूँ अपनो से हरदम ,
रिश्तों में न अभिमान मिले ।
न रहे पराजित मान कोई ,
स्व से स्वयं सम्मान मिले ।
"निश्चल" रहे न अहमं कोई ,
प्राणों में ऐसी आन मिले ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(130)
मान मिले सम्मान मिले ।
अपनो में पहचान मिले ।
रहें सदा नयनों के आंगे ,
चरणों में चाहे स्थान मिले ।
हार चलूँ अपनो से हरदम ,
रिश्तों में न अभिमान मिले ।
न रहे पराजित मान कोई ,
स्व से स्वयं सम्मान मिले ।
"निश्चल" रहे न अहमं कोई ,
प्राणों में ऐसी आन मिले ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(130)
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