अब और नही सहेंगे ।
न ही अब ख़ामोश रहेंगे ।
अब उनकी ही भाषा में ,
उनसे अब बात करेंगे ।
करते है जो छुप कर हमले ,
हम उनको पहले आगाह करेंगे ।
नजर अंदाज किया था जिनको ,
वो अब अपना अंजाम भरेंगे ।
लहु खोलता माँ के लालो का ,
अब आकाश जमीं पाताल हिलेंगे ।
पार हुई पराकाष्ठा सभी माधव की ,
अब महा समर के बिगुल बजेंगे ।
निशान रहे न वो नाम रहे कहीं ,
अब तो भारत को बस एक कहेंगे ।
......विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(120)
न ही अब ख़ामोश रहेंगे ।
अब उनकी ही भाषा में ,
उनसे अब बात करेंगे ।
करते है जो छुप कर हमले ,
हम उनको पहले आगाह करेंगे ।
नजर अंदाज किया था जिनको ,
वो अब अपना अंजाम भरेंगे ।
लहु खोलता माँ के लालो का ,
अब आकाश जमीं पाताल हिलेंगे ।
पार हुई पराकाष्ठा सभी माधव की ,
अब महा समर के बिगुल बजेंगे ।
निशान रहे न वो नाम रहे कहीं ,
अब तो भारत को बस एक कहेंगे ।
......विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 6(120)
अब और नही सहेंगे ।
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