गुरुवार, 26 अक्तूबर 2023

मिरी याद में जो रवानी मिलेगी।

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 मिरी याद में जो रवानी मिलेगी।

  उसी आह को वो कहानी मिलेगी ।

 

 मिली रूह जो ख़ाक के उन बुतों से ,

 जिंदगी जिस्मों को दिवानी मिलेगी ।


मुझे भी मिला है जिक्र का सिला यूँ ,

नज़्मों में मिरि भी कहानी मिलेगी ।


  जहाँ राह राही मुसलसल चलेगा ,

  जमीं पे कही तो निशानी मिलेगी ।


  बहेगा तु हालात के दर्या में ही ,

   नही मौज सारी सुहानी मिलेगी ।


  सजाता रहा मैं जिसे ख़्वाब में ही ,

   उम्र वो किताबे पुरानी मिलेगी ।


   कहेगा जिसे तू निगाहे जुबानी,

  "निश्चल" वो नज़्र भी सयानी मिलेगी ।

    

.... विवेक दुबे"निश्चल"@....

डायरी 6(146)


अंतिम शेर फिर से कहें,बेमानी है



कहेगा जिसे तू निगाहे सुहानी ,


  कहेगा जिसे तू निगाहे ख़ास ही,

  "निश्चल" वो नज़्र भी सयानी मिलेगी ।


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