रविवार, 8 अक्तूबर 2017

जीवन संगनी




...... जीवन संगनी....

   रागनी तू अनुगामनी तू।
   राग तू अनुरागनी तू ।
               चारणी तू सहचारणी तू।
               शुभ तू शुभगामनी तू।
  नैया तू पतवार तू ।
  सागर तू किनार तू ।
                    प्रणय प्रेम फुहार तू ।
                    प्रकृति सा आधार तू ।              
 प्रीत का प्रसाद तू ।
 सुखद सा प्रकाश तू ।     
               खुशियों का आकाश तू।
               "विवेक" का विश्वास तू ।
   
       ...... *विवेक दुबे* ©,.....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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