सोमवार, 9 अक्तूबर 2017

हर ले तू शब्दों के तम ।।


हर ले तू शब्दों के तम ।
 उजियारा भर हर दम ।
थाम कर कलम ,
कर नव सृजन ।
हर पल हर दम ।
उकेर पीड़ाओं को भी ,
जीवन के रंग में डुबो कलम ।
हर ले तू शब्दों के तम ।
अवसादों और निराशाओं को ।
छू कर उन अभिलाषाओं को।
आशाओं से खुशियों के भाव बना ।
अपने हृदय मन उदगार उठा।
शब्दों का फिर आकर सजा ।
तू लिखता जा तू लिखता जा ।
हर पल हर क्षण कर बस सृजन 
हर ले तू शब्दों के तम ।
  कर सृजन तू कर सृजन ।
...... विवेक दुबे ©.....

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...