यह जेठ की तपन ।
यह अगन भरा मन ।
प्रियतम की यादों की,
शीतल चलत पवन ।
साँसों के अहसासों से ,
अनु गुंजित यह मन ।
छूकर यादों की कलियाँ ,
खिलते यादों के उपवन ।
तप्त धरा धरती जैसे ,
वर्षा से होती नम ।
पायल खनकी यादों की ,
टपकी वर्षा बूंदे छम छम ।
यह जेठ की तपन ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
यह अगन भरा मन ।
प्रियतम की यादों की,
शीतल चलत पवन ।
साँसों के अहसासों से ,
अनु गुंजित यह मन ।
छूकर यादों की कलियाँ ,
खिलते यादों के उपवन ।
तप्त धरा धरती जैसे ,
वर्षा से होती नम ।
पायल खनकी यादों की ,
टपकी वर्षा बूंदे छम छम ।
यह जेठ की तपन ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@....
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