शनिवार, 11 अगस्त 2018

शालनी छंद

शालनी छंद
मगण  तगण तगण गुरु गुरु
222   221  221   2 2

  पाते जैसे आ मिले मीत आ के  ।
  नाते वैसे ही चले प्रीत पा के  ।
  ऐसे गाते ही रहे गीत गा के ।
  भाते वैसे ही रहे रीत पा के ।

आ जाओ बातें सुनाने बुलाते ।
ना जाओ रातें बिताने रिझाते ।
ले जाओ यादें सुहानी सजाने ।
दे जाओ ताने रिझाने मनाने ।

नाता है कोई यही क्षीर सा ये ।
लाता है कोई वही नीर सा ये ।
पीता है कोई यही पीर सा ये ।
रीता है कोई वही तीर सा ये ।
.....
  जो नाते है  वो कहाँ दूर जाते ।
  वो आते ही है सदा नीर लाते ।
  जो जाते है वो नही पीर पाते ।
  वो पाते है जो यहाँ तीर आते ।

 .... विवेक दुबे"निश्चल"@...

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