शालनी छंद
मगण तगण तगण गुरु गुरु
222 221 221 2 2
पाते जैसे आ मिले मीत आ के ।
नाते वैसे ही चले प्रीत पा के ।
ऐसे गाते ही रहे गीत गा के ।
भाते वैसे ही रहे रीत पा के ।
आ जाओ बातें सुनाने बुलाते ।
ना जाओ रातें बिताने रिझाते ।
ले जाओ यादें सुहानी सजाने ।
दे जाओ ताने रिझाने मनाने ।
नाता है कोई यही क्षीर सा ये ।
लाता है कोई वही नीर सा ये ।
पीता है कोई यही पीर सा ये ।
रीता है कोई वही तीर सा ये ।
.....
जो नाते है वो कहाँ दूर जाते ।
वो आते ही है सदा नीर लाते ।
जो जाते है वो नही पीर पाते ।
वो पाते है जो यहाँ तीर आते ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
मगण तगण तगण गुरु गुरु
222 221 221 2 2
पाते जैसे आ मिले मीत आ के ।
नाते वैसे ही चले प्रीत पा के ।
ऐसे गाते ही रहे गीत गा के ।
भाते वैसे ही रहे रीत पा के ।
आ जाओ बातें सुनाने बुलाते ।
ना जाओ रातें बिताने रिझाते ।
ले जाओ यादें सुहानी सजाने ।
दे जाओ ताने रिझाने मनाने ।
नाता है कोई यही क्षीर सा ये ।
लाता है कोई वही नीर सा ये ।
पीता है कोई यही पीर सा ये ।
रीता है कोई वही तीर सा ये ।
.....
जो नाते है वो कहाँ दूर जाते ।
वो आते ही है सदा नीर लाते ।
जो जाते है वो नही पीर पाते ।
वो पाते है जो यहाँ तीर आते ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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