घनश्याम छंद
विधान- [जगण जगण भगण भगण भगण गुरु]
(121 121, 211 211 211 2)
16 वर्ण, यति 6,10 वर्णों पर, 4 चरण,
2-2 चरण समतुकांत।
चला चल जीव, ये बस जीवन साधन हो ।
खिलें बस फूल, ये हर जीवन पावन हो ।
मिलें पथ मीत, तो क्षण ये मन भावन सो ।
बसे हर जीव, तो कण ये मन मोहन सो ।
बसी मन प्रीत, चाह नही अब ये कम हो ।
रचे मन गीत, साथ चलें जब प्रीतम हों ।
पिया मन झूम, साज गढ़े सुर ये तन तो ।
हिया मन मीत, दूर नही अब ये मन तो ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
Blog post 12/8/18
विधान- [जगण जगण भगण भगण भगण गुरु]
(121 121, 211 211 211 2)
16 वर्ण, यति 6,10 वर्णों पर, 4 चरण,
2-2 चरण समतुकांत।
चला चल जीव, ये बस जीवन साधन हो ।
खिलें बस फूल, ये हर जीवन पावन हो ।
मिलें पथ मीत, तो क्षण ये मन भावन सो ।
बसे हर जीव, तो कण ये मन मोहन सो ।
बसी मन प्रीत, चाह नही अब ये कम हो ।
रचे मन गीत, साथ चलें जब प्रीतम हों ।
पिया मन झूम, साज गढ़े सुर ये तन तो ।
हिया मन मीत, दूर नही अब ये मन तो ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@.....
Blog post 12/8/18
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें