वो आता उषा के संग ,
किरण आसरा पाता ।
संध्या के संग हर दिन ,
दिनकर क्यों छुप जाता ।
तजकर पहर पहर सबको ,
वो एकाकी चलता जाता ।
हर प्रभात का दिनकर ,
संध्या दामन ढल जाता ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
किरण आसरा पाता ।
संध्या के संग हर दिन ,
दिनकर क्यों छुप जाता ।
तजकर पहर पहर सबको ,
वो एकाकी चलता जाता ।
हर प्रभात का दिनकर ,
संध्या दामन ढल जाता ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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