शनिवार, 23 जून 2018

हार नही मानूँगा

जीवन संग्रामों से हार नही मानूँगा ।
दुर्गम राहों पर विश्राम नही मागूँगा ।

चलता हूँ अथक निरन्तर पथ पर ,
 ज़ीवन पथ से मुक़ाम नही मागूँगा ।

 हार रहीं है प्रति पल अभिलाषाएं ,
 आशाओं से प्रमाण नही मागूँगा ।

   मैं ज़ीवन को जीने की खातिर ,
 ज़ीवन को अभिमान नही मानूँगा ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@.

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...