एक आशा जीवन की ।
अभिलाषा इस मन की ।
तलाश रही डगर डगर ,
राह कठिन जीवन की ।
...
वो प्यास प्यास ही रही ।
एक अधूरी आस ही रही ।
साहिल न था दरिया का ,
लहरों को तलाश ही रही ।
....
डूबता रहा साँझ के मंजर सा ।
सफ़र जिंदगी रहा समंदर सा ।
.... विवेक दुबे@"निश्चल"..
अभिलाषा इस मन की ।
तलाश रही डगर डगर ,
राह कठिन जीवन की ।
...
वो प्यास प्यास ही रही ।
एक अधूरी आस ही रही ।
साहिल न था दरिया का ,
लहरों को तलाश ही रही ।
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डूबता रहा साँझ के मंजर सा ।
सफ़र जिंदगी रहा समंदर सा ।
.... विवेक दुबे@"निश्चल"..
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