शनिवार, 9 जनवरी 2021

प्रश्नों के हल करता हूँ

 अपने ही प्रश्नों को हल करता हूँ ।

प्रयास सदा प्रति पल करता हूँ ।


पा जाऊँगा हल जीवन प्रश्नों का,

ख़ुद ही ख़ुद से छल करता हूँ ।


हार नही मानेगा जीव जनम से ,

जीवन का ऐसा फ़ल करता हूँ ।


 स्वर्णिम कल की अभिलाषा में ,

 स्नेहिल नयन सजल करता हूँ ।


काटेगें तम को फिर उजियारे ,

प्रयासों को उज्ज्वल करता हूँ ।


 तरल रहे जीवन नीर नदी सा ,

जीवन को बहता जल करता हूँ ।


 ठहराव नही हो कोई जीवन में ,

"निश्चल"जीवन को चल करता हूँ ।


अपने ही प्रश्नों को हल करता हूँ ।

प्रयास सदा प्रति पल करता हूँ ।


...विवेक दुबे"निश्चल"@...




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