अपने ही प्रश्नों को हल करता हूँ ।
प्रयास सदा प्रति पल करता हूँ ।
पा जाऊँगा हल जीवन प्रश्नों का,
ख़ुद ही ख़ुद से छल करता हूँ ।
हार नही मानेगा जीव जनम से ,
जीवन का ऐसा फ़ल करता हूँ ।
स्वर्णिम कल की अभिलाषा में ,
स्नेहिल नयन सजल करता हूँ ।
काटेगें तम को फिर उजियारे ,
प्रयासों को उज्ज्वल करता हूँ ।
तरल रहे जीवन नीर नदी सा ,
जीवन को बहता जल करता हूँ ।
ठहराव नही हो कोई जीवन में ,
"निश्चल"जीवन को चल करता हूँ ।
अपने ही प्रश्नों को हल करता हूँ ।
प्रयास सदा प्रति पल करता हूँ ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@...
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