बुधवार, 7 सितंबर 2022

बार बार प्रतिकार मिला

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बार बार प्रतिकार मिला है ।

अपनो से ये उपहार मिला है ।

संघर्षित इस जीवन पथ पर ,

पारितोषित बस हार मिला है ।

स्वार्थ भरे रिश्ते नातों में ,

कुटिल नयन दुलार मिला है ।

अपनो से अपनो के संवादों में,

शब्द शब्द व्यापार मिला है ।

 हर कांक्षित आकांक्षा में ,

अस्वीकारित स्वीकार मिला है ।

पार चला जब मजधारो के ,

तब तट पर इस पार मिला है ।

बार बार प्रतिकार मिला है ।

अपनो से ये उपहार मिला है ।

...विवेक दुबे"निश्चल"@..

डायरी 7


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