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वो भी एक दौर था ,
ये भी एक दौर है ।
वो न कोई और था ,
ये भी न कोई और है ।
जिंदगी के हाथ में ,
चाहतों की डोर है
जीतने की चाह में ,
अदावतों का शोर है ।
उम्मीदों के पोर पे ,
हसरतों के छोर है ।
छूटते आज में ,
कल नई भोर है ।
वो भी एक दौर था ,
ये भी एक दौर है ।
..."निश्चल"@....
डायरी 7
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