बुधवार, 7 सितंबर 2022

ये भी एक दौर है

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वो भी एक दौर था ,

ये भी एक दौर है ।

वो न कोई और था ,

ये भी न कोई और है ।

 जिंदगी के हाथ में ,

चाहतों की डोर है 

जीतने की चाह में ,

 अदावतों का शोर है ।

 उम्मीदों के पोर पे ,

  हसरतों के छोर है ।

   छूटते आज में ,

  कल नई भोर है ।

 वो भी एक दौर था ,

 ये भी एक दौर है ।

..."निश्चल"@....

डायरी 7

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