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प्रणय मिलन की वेला में ,*
*आलिंगन में तुम बंध जाओ ।*
*साँसों के स्पंदन से तुम ,*
*नव सृजन के भाव जगाओ ।*
*सिंचित कर स्वर अपने*
*सम्पूर्ण समर्पण से ,*
*ये क्रम मधु मासों में ,*
*बार बार तुम दोहराओ ।*
*प्रणय मिलन की वेला में ,*
*आलिंगन में तुम बंध जाओ ।*
.... *विवेक दुबे"निश्चल"@* ....
डायरी 7
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