1042
कुछ फ़र्ज़ निभाये जाते है ।
कुछ कर्ज़ चुकाये जाते है ।
रिश्तों के कंटक पथ पर ,
कुछ शूल हटाये जाते है ।
बनते है फिर मिटते है ,
फिर खूब सजाये जाते है ।
पास नही दिल के कोई ,
पर पास बताये जाते है।
कुछ फ़र्ज़ निभाये जाते है ।
कुछ कर्ज़ चुकाये जाते है ।
सहज चले रिश्ते रिश्तों को,
वो एक आस लगाये जाते है ।
जिनमें है भाव समर्पण का ,
कुछ वो खास बनाये जाते है ।
देकर कुर्वानी खुशियों की ,
रिश्तों के कर्ज चुकाये जाते है ।
..."निश्चल"@...
डायरी 7
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें