सोमवार, 11 मई 2015

चहरे


हर चहरे में भगवान ढूंडता हूँ ,,,
दुनिया में ईमान ढूंडता हूँ,,,,
बेंच कर अपनी खुशियाँ
चहरों पर मुस्कान ढूंडता हूँ,,,
....विवेक...

1 टिप्पणी:

"नेह्दूत" ने कहा…

वाह बहुत खूब

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...