बुधवार, 13 मई 2015

कनक की कविता सपनो का जहां


लेकर में चली जहां,
झिलमिलाते सितारों के साथ;
जाऊ  चाँद पर भी में आज,
क्या पूरा होगा ये ख्वाब,
क्या पूरा होगा ये ख्वाब!

है तमन्ना है,
आरजू  कोई;
 मेरी धडकनों में,
चाहू बस यही,
में तो बस यही ,
झूम इस जहन में;
छू के आसमा ये आज,
कर जाऊं ऐसा कुछ ख़ास,
के क़दमों में हो
सितारे मेरे यार!
सितारे मेरे यार!

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