नया जमाना
जिसमे दिल का नहीं कोई मुकाम
मतलब की दुनिया सारी
आपनी अपनी लाचारी
अपने मतलब की खातिर
कर रहे जमीर को कुर्वान
सच्चे झूठे का भेद नहीं अब
अब झूठ हुआ सच सामान
माया का चक्कर ऐसा छाया
बिक गए अच्छे अच्छो कै ईमान
डूब गई वफादारी
कत्ल हुए हक और ईमान
क्या मैंने यह सब
सत्य कहा श्रीमान...
......विवेक.....
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