सोमवार, 11 मई 2015

जश्न-ए-ज़िन्दगी



हम जिन्दगी का जश्न ,
 कुछ यू मानते रहे ।
वा-अदब भी ,
बे-अदब नजर आते रहे ।
वा-कायदा भी ,
बे-कायदा कहलाते रहे ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@..

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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