बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

नानी की कहानी

 परियों की एक रानी थी ।
  और बूढ़ी एक नानी थी ।
  साँझ ढले दादी माँ  ,
  सुनातीं एक कहानी थीं । 
       पीलू जंगल का राजा ।
       धूर्त सियार वो मंगलू ।
       चंपा चालक लोमड़ी ,
       एक जादू की टोकरी ।
  कालीन भी उड़ जाता ।
  चाँद ज़मीं उतर आता ।
  गर्मी का मारा बेचारा ,
  सुरज भी पीता पानी ।
        भले बुरे का भेद सिखाती ।
        झूँठ फ़रेब से दूर हटाती ।
         सत्य मार्ग पर चलना कैसे,
         हर कहानी यह पाठ पढ़ाती ।
   कितना सुगम था वो बचपन ।
   मस्ती का था वो अल्लड़पन ।
   आया यौवन बीता बचपन ,
   दादी नानी से अब अनबन ।
       दादी नानी बृद्धाश्रमो तले ।
       सूना है अब यह बचपन ।
       जाए किस से सुनने वो ,
       खत्म हुए अब तो आँगन ।
 खत्म हुए अब तो ...
   .... विवेक दुबे "निश्चल"©....

     Blog post 7/2/18
  

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