रविवार, 13 मई 2018

मातृ दिवस

 एक स्मृति मेरी माँ

 जिसकी स्मृतियाँ ही शेष हैं ।
 उसके बस यही अवशेष हैं । 

 जी गई जीवन संघर्षो को ,
 सर पे आशीष अब शेष है

 उसके बारे में लिखने को ,
 पास मेरे शब्द नही शेष हैं ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@.

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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