बुधवार, 16 मई 2018

यूँ जरूरी तो नही

 यूँ जरूरी तो कुछ भी नहीं ,
 दुनियाँ में दुनियाँ के वास्ते ।

    फिर भी मिलते हैं मगर ,
    अक्सर चौराहों पे रास्ते ।

   टूटकर मौजें साहिल पर ,
  खोजती समंदर ही में रास्ते ।

  रिस्ता रहा घड़े की मानिंद वो ,
   आया न कोई प्यास को तलाशते ।

  लो बुझ गया दिया भी वो ,
   जो जला था सुबह के वास्ते ।

 बिखेरता था खुशबू गुलशन में जो ,
 लो टूट गया एक ज़ुल्फ़ के वास्ते ।

 यूँ जरूरी तो नही .....

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 4

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