शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

वंदना

वंदना .


  हे माँ ज्ञानदा ज्ञान दो ,
   शब्दों का वरदान दो ।

   दूर रहूँ अभिमान से ,
  लेखन का स्वाभिमान दो ।

  चलता रहूँ सत्य के पथ पर
  एक ऐसा पथ भान दो ।

 हे माँ ज्ञानदा ज्ञान दो ।
 शब्दों का वरदान दो ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..

कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...