माधव आए थे तुम तब ,
नष्ट हुआ सा था जब सब ।
सुधार गए थे तुम तब सब ,
भय भृष्टाचार नही रहा था तब ।
तुमने पाप व्यभिचार मार दिया सब ।
गीता से सब को तार दिया था तब ।
समय बदला युग बदला जब ।
आये फिर बदला लेने दानव अब।
आज मच रहा कोहराम फिर अब।
कंस पूतना कौरव फिर छाए अब ।
कर रहे अत्याचार सरे आम सब ।
धरती कांपी अंबर भी डोला अब ।
त्रस्त हुए धरा पर मानव सब ।
बहुत हुआ पाप अनाचार अब ।
आ जाओ तुम धनश्याम।
करुण पुकारे हर आम ।
विश्व शांति की लाज बचाने ,
कर जाओ फिर एक संग्राम ।
...विवेक दुबे "निश्चल"...
डायरी 5(133)
नष्ट हुआ सा था जब सब ।
सुधार गए थे तुम तब सब ,
भय भृष्टाचार नही रहा था तब ।
तुमने पाप व्यभिचार मार दिया सब ।
गीता से सब को तार दिया था तब ।
समय बदला युग बदला जब ।
आये फिर बदला लेने दानव अब।
आज मच रहा कोहराम फिर अब।
कंस पूतना कौरव फिर छाए अब ।
कर रहे अत्याचार सरे आम सब ।
धरती कांपी अंबर भी डोला अब ।
त्रस्त हुए धरा पर मानव सब ।
बहुत हुआ पाप अनाचार अब ।
आ जाओ तुम धनश्याम।
करुण पुकारे हर आम ।
विश्व शांति की लाज बचाने ,
कर जाओ फिर एक संग्राम ।
...विवेक दुबे "निश्चल"...
डायरी 5(133)
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