शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

माधव आए थे

माधव आए थे तुम तब ,
नष्ट हुआ सा था जब सब  ।

सुधार गए थे तुम तब सब ,
भय भृष्टाचार नही रहा था तब  ।

तुमने पाप व्यभिचार मार दिया सब ।
गीता से सब को तार दिया था तब ।

समय बदला युग बदला जब ।
आये फिर बदला लेने दानव अब।

 आज मच रहा कोहराम फिर अब।
 कंस पूतना कौरव फिर छाए अब ।

कर रहे अत्याचार सरे आम सब ।
धरती कांपी अंबर भी डोला अब ।

  त्रस्त हुए धरा पर मानव सब  ।
  बहुत हुआ पाप अनाचार अब ।

  आ जाओ तुम धनश्याम।
  करुण पुकारे हर आम ।
  
   विश्व शांति की लाज बचाने ,
   कर जाओ फिर एक संग्राम ।

    ...विवेक दुबे "निश्चल"...
डायरी 5(133)

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