विषय-- घुँघरू
आशाओं संग अभिलाषाओं से हारी है ।
नित् नए स्वप्न सजा दुल्हन सी साजी है ।
हो रहे पग घायल , पग घुँघरू बाँधे बाँधे ,
घुँघरू की थिरकन पर घुँघरू सी बाजी है ।
ताल मिले नहीं मिले कभी थिरकन पर ,
जिंदगी आशाओं संग रक्कासा सी नाची है।
बुझ रहे दिये जलकर रातो को रातों में ,
भोर दूर बड़ी यह रात अभी बाँकी है ।
टूट गिर धरा पर मचले कुछ घुँघरू
घूंघर घूंघर में भी थिरकन झांकी है ।
आशाओं संग अभिलाषाओं से हारी है ।
नित् नए स्वप्न सजा दुल्हन सी साजी है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल@...
डायरी 5(139)
आशाओं संग अभिलाषाओं से हारी है ।
नित् नए स्वप्न सजा दुल्हन सी साजी है ।
हो रहे पग घायल , पग घुँघरू बाँधे बाँधे ,
घुँघरू की थिरकन पर घुँघरू सी बाजी है ।
ताल मिले नहीं मिले कभी थिरकन पर ,
जिंदगी आशाओं संग रक्कासा सी नाची है।
बुझ रहे दिये जलकर रातो को रातों में ,
भोर दूर बड़ी यह रात अभी बाँकी है ।
टूट गिर धरा पर मचले कुछ घुँघरू
घूंघर घूंघर में भी थिरकन झांकी है ।
आशाओं संग अभिलाषाओं से हारी है ।
नित् नए स्वप्न सजा दुल्हन सी साजी है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल@...
डायरी 5(139)
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