अक्सर कुछ ऐसे ही ,
बात बात के अर्थ बदलते ।
साज साज पे साजों के ,
ज्यों संगीत बदलते ।
बात बात में बात बदलते ,
गीतों में ज्यों राग बदलते ।
चलते सब जीने की ख़ातिर ,
चलते चलते राह बदलते ।
रिस्ता रिस्ता रिसता सा ,
बूंद बूंद के नाम बदलते ।
अक्सर कुछ ऐसे ही ,
बार बार हालात बदलते ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
*पति पत्नी के बीच होते हर* *संवाद को रेखांकित* *करती एक रचना ।*
डायरी 5(138)
बात बात के अर्थ बदलते ।
साज साज पे साजों के ,
ज्यों संगीत बदलते ।
बात बात में बात बदलते ,
गीतों में ज्यों राग बदलते ।
चलते सब जीने की ख़ातिर ,
चलते चलते राह बदलते ।
रिस्ता रिस्ता रिसता सा ,
बूंद बूंद के नाम बदलते ।
अक्सर कुछ ऐसे ही ,
बार बार हालात बदलते ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
*पति पत्नी के बीच होते हर* *संवाद को रेखांकित* *करती एक रचना ।*
डायरी 5(138)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें