शनिवार, 8 सितंबर 2018

आओ कान्हा

 आओ कान्हा,
        दया दिखाओ कान्हा ।

छाओ चित में,
        मोहे न बिसराओ कान्हा ।

करुण पुकार सुनो मेरी,
      तुम कृपा बरसाओ कान्हा ।

हार रहा मन मन के हाथों,
      तुम राह दिखाओ कान्हा ।

 जीत सकूँ स्वयं स्वयं के आगे ,
    स्वयं को हर ले जाओ कान्हा ।

 नयन बिलोकत पल छिन पल छिन ,
    सखी सी प्रीत निभाओ कान्हा ।

भाव भरे यह मन भीतर गहरे ,
    गोपी सा रास रचाओ कान्हा ।

 गीत गढूं नित नित तेरे ,
    अधरन प्यास बुझाओ कान्हा ।

 विनय यही बस लाज रखो मेरी ,
"निश्चल"को न बिसराओ कान्हा ।

आओ कान्हा, दया दिखाओ कान्हा ।
छाओ चित में,मोहे न बिसराओ कान्हा ।

आओ कान्हा दया दिखाओ कान्हा ।
दुःशासन से लाज बचाओ कान्हा ।

 मूक भीष्म द्रोण बिदुर सभी ,
 चक्र सुदर्शन चलाओ कान्हा ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 5(134)


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