जलधरमाला छंद*
विधान~
[मगण भगण सगण मगण]
(222 211 112 222)
कान्हा बैठा , मचल यशोदा गोदी ।
रूठी वा से , नटखट राधा छोरी ।
पूछे भोला , बनकर मैं तो श्यामा ।
राधा काहे , लगत सलोनी गोरी ।
डूबा है ये , नभ झरते पानी से ।
भींगी सारी , अचल धरा पानी से ।
धोता जाता , धुलकर नादानी को ।
आता लाता , भरकर वो पानी को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(131)
विधान~
[मगण भगण सगण मगण]
(222 211 112 222)
कान्हा बैठा , मचल यशोदा गोदी ।
रूठी वा से , नटखट राधा छोरी ।
पूछे भोला , बनकर मैं तो श्यामा ।
राधा काहे , लगत सलोनी गोरी ।
डूबा है ये , नभ झरते पानी से ।
भींगी सारी , अचल धरा पानी से ।
धोता जाता , धुलकर नादानी को ।
आता लाता , भरकर वो पानी को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
डायरी 5(131)
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