626
सफ़र इन राहों पर अनन्त विस्तार सा ।
मिलता हर मोड़ पर जीवन श्रृंगार सा ।
मिलता पथ मन उपवन तपन ढ़ले ही ,
हर्षित पथ तृष्णाओं के तिरस्कार सा ।
.....
627
हर हाल बे-हाल कचोटते रहे ।
कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे ।
चलते रहे सफ़र जिंदगी के ,
ये हाल दिल मगर रोज से रहे ।
.. ....
628
एक उम्र की तलाश सी ।
एक अधूरी सी आस सी ।
गुजरता रहा उम्र कारवां,
साथ लिए हसरत प्यास सी
.....
629
खुद को खुद में खोता है ।
ज़ीवन तो एक धोखा है ।
जीवन ने ज़ीवन की ख़ातिर,
खुद को खुद में रोका है ।
...
630
जीत नही कहीं , न ही हार कही ,
जीवन में मिलता, आकार नया है ।
आज रुका नही , कल साथ नही ,
यही नियति का , नित सिंगार नया है ।
631
रख जरा तू सामने आईने अपने ।
तू पूछ जरा खुद से मायने अपने ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
सफ़र इन राहों पर अनन्त विस्तार सा ।
मिलता हर मोड़ पर जीवन श्रृंगार सा ।
मिलता पथ मन उपवन तपन ढ़ले ही ,
हर्षित पथ तृष्णाओं के तिरस्कार सा ।
.....
627
हर हाल बे-हाल कचोटते रहे ।
कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे ।
चलते रहे सफ़र जिंदगी के ,
ये हाल दिल मगर रोज से रहे ।
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628
एक उम्र की तलाश सी ।
एक अधूरी सी आस सी ।
गुजरता रहा उम्र कारवां,
साथ लिए हसरत प्यास सी
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629
खुद को खुद में खोता है ।
ज़ीवन तो एक धोखा है ।
जीवन ने ज़ीवन की ख़ातिर,
खुद को खुद में रोका है ।
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630
जीत नही कहीं , न ही हार कही ,
जीवन में मिलता, आकार नया है ।
आज रुका नही , कल साथ नही ,
यही नियति का , नित सिंगार नया है ।
631
रख जरा तू सामने आईने अपने ।
तू पूछ जरा खुद से मायने अपने ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
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