तिलका छंद
112 112
मन राम रटे ।
हर पाप घटे ।
प्रभु ध्यान करें ।
मन पीर हरें ।
रम ले सज ले ।
भज ले पगले ।
कब कौन सुखी ।
सब मौन दुःखी ।
दिन रात यहीं ।
हरि साथ यहीं ।
जय ज्योत भरी ।
बस बोल हरी ।
पल तो कल सा ।
करता छल सा ।
जप राम हरे ।
तब आज भरे ।
मन राम रटे ।
हर पाप घटे ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(126)
112 112
मन राम रटे ।
हर पाप घटे ।
प्रभु ध्यान करें ।
मन पीर हरें ।
रम ले सज ले ।
भज ले पगले ।
कब कौन सुखी ।
सब मौन दुःखी ।
दिन रात यहीं ।
हरि साथ यहीं ।
जय ज्योत भरी ।
बस बोल हरी ।
पल तो कल सा ।
करता छल सा ।
जप राम हरे ।
तब आज भरे ।
मन राम रटे ।
हर पाप घटे ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6(126)
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