बुधवार, 6 मार्च 2019

मुक्तक 667a

667A

दर्द मेरे दिल का ,
  निग़ाह में असर नही रखता ।

शाम-ए-महफ़िल में,
 वो मेरा जिकर नही रखता ।

... 
दर्द मेरे दिल का ,
  निग़ाह में नजर चाहिए।

शाम-ए-महफ़िल में, 
    मेरा भी जिकर चाहिए ।

... विवेक दुबे"निश्चल"@.
डायरी 3

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