कभी कुछ भी तो न किया
माँ तू ने खुद
अपने बास्ते
जो भी किया बस
मेरे बास्ते
तू ने आसान किये
मेरे हर रास्ते
मेरे गम की परछाई भी
तुझ से घबराई
तू ने अपनी हर ख़ुशी
मुझ पर लुटाई
छोटी सी खरोच भी देख
अपने सारे दर्द भूल गई
मेरी नींद की खातिर
तू सोना भूल गई
मेरे माथे पर बो काजल से चाँद बनाना
लाल सूखी मिर्चो को
आग में जलना
फिर सीने से लगाना
.....विवेक....
1 टिप्पणी:
माँ बस माँ
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