सोमवार, 11 मई 2015

उसका घर


इसने कहा मेरा खुदा
उसने कहा मेरा god
तुमने कहा मेरा ईस्वर
मैंने पूछा भाई
यह बताओ
यह रहते कहाँ है ?
तीनो ने अंगुलियाँ अपनी अपनी
आसमान की और उठा दी
मैंने फिर पूछा
क्या यह भी हमारी तरह आसमान में
लड़ते रहते है ?
अपने अपने वर्चस्व के लिए ....
सच कहूँ यारो
तीनो की नजरे जमीन को ताक रही थी ...
......विवेक.....

1 टिप्पणी:

"नेह्दूत" ने कहा…

बहुत सुन्दर

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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