420
अहसास हुआ वक़्त की कमी का ।
आभास हुआ वक़्त की जमीं का ।
रंग ले हर पल खुशियों के रंग से ,
अंदाज़ यही ज़िंदगी-ऐ-तिश्निगी का ।
.421
वो कोई अदावत नही थी ।
हुस्न से शिकायत नही थी ।
हुआ रुसवा जिस निगाह से ,
वो निगाह-ऐ-शरारत नही थी ।
...
422
न सिद्ध हूँ न प्रसिद्ध हूँ मैं ,
न चाहत है शिरोधार्य की ।
लिखता रहूँ अंत समय तक ,
बनी रहे धार कलम तलवार की ।
...
423
तू न तोड़ इन होंसलों को ।
तू बुन ख़याल घोंसलों को ।
तिनका तिनका जोड़ता जा ,
दे आवाज़ अपने मुर्शिदों को ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
मुर्शिद - रास्ता दिखाने बाला /पूज्य व्यक्ति/सही राह पर प्रेरित करने बल
अहसास हुआ वक़्त की कमी का ।
आभास हुआ वक़्त की जमीं का ।
रंग ले हर पल खुशियों के रंग से ,
अंदाज़ यही ज़िंदगी-ऐ-तिश्निगी का ।
.421
वो कोई अदावत नही थी ।
हुस्न से शिकायत नही थी ।
हुआ रुसवा जिस निगाह से ,
वो निगाह-ऐ-शरारत नही थी ।
...
422
न सिद्ध हूँ न प्रसिद्ध हूँ मैं ,
न चाहत है शिरोधार्य की ।
लिखता रहूँ अंत समय तक ,
बनी रहे धार कलम तलवार की ।
...
423
तू न तोड़ इन होंसलों को ।
तू बुन ख़याल घोंसलों को ।
तिनका तिनका जोड़ता जा ,
दे आवाज़ अपने मुर्शिदों को ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@..
मुर्शिद - रास्ता दिखाने बाला /पूज्य व्यक्ति/सही राह पर प्रेरित करने बल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें