चकित हिमालय थकता सागर है ।
सुप्त चाँदनी थमता दिनकर है ।
रीत रही गागर आशाओं की ,
बून्द बून्द रिसता दृग सर है । (अश्रु जल)
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
हालात ने ठगा वक़्त ने छला है ।
उम्मीद को ,उम्मीद से गिला है ।
हारते रहे जीता कर जिनको ,
जाने कैसा यह सिलसिला है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
निखरता रहा बड़े शौक से ।
बिखरता रहा मैं शोक में ।
कह गया था वो आऊंगा ,
सच मान बैठा मैं जोश में ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
शकुनि निकला बिसात बिछाने को ।
मांझ रहा पांसे अपने पलटाने को ।
जंघा ठोके दुर्योधन आतुर दुःशासन
पांचाली को ले कर आने को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
सुप्त चाँदनी थमता दिनकर है ।
रीत रही गागर आशाओं की ,
बून्द बून्द रिसता दृग सर है । (अश्रु जल)
..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
हालात ने ठगा वक़्त ने छला है ।
उम्मीद को ,उम्मीद से गिला है ।
हारते रहे जीता कर जिनको ,
जाने कैसा यह सिलसिला है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
निखरता रहा बड़े शौक से ।
बिखरता रहा मैं शोक में ।
कह गया था वो आऊंगा ,
सच मान बैठा मैं जोश में ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....
शकुनि निकला बिसात बिछाने को ।
मांझ रहा पांसे अपने पलटाने को ।
जंघा ठोके दुर्योधन आतुर दुःशासन
पांचाली को ले कर आने को ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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