गुरुवार, 7 जून 2018

बहता चल

बहता चल तू धाराओं संग बहता चल ।
वक़्त किनारों को जायेगा जाता छल ।
 खोकर एक दिन तू हस्ती अपनी  ,
 कहलायेगा तू भी    सागर कल । 

बहता चल तू धाराओं संग बहता चल ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@....


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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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