सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

मुक्तक 971/92

 971

मूल्य न हो जहाँ मूल्यों का ,

 वहाँ नैतिकता क्या खास करें ।

बदल रहे हो जब अपने ही ,

 गैरों से तब क्या आस करें ।

 ..."निश्चल"@..

972

सुरमई रोशनी के उजालों को । 

खोजती है निगाहें ख्यालों को ।

दूर तक बिखरा है आसमां ,

लिए साँझ के सवालों को ।

.....विवेक दुबे"निश्चल"@...

973

सुरमई रोशनी के उजालों में । 

खोजती है निगाहें ख्यालों में।

दूर तक बिखरा है आसमां ,

लिए साँझ को सवालों में ।

...विवेक दुबे"निश्चल"@  ..

974

दर्ज खामोशी में सवाल से ।

 छुपे निग़ाह में मलाल से ।

 बयाँ न कर सकी जुवां ,

  अल्फ़ाज़ को *जमाल* से ।

...."निश्चल"@...

*जमाल(खूबसूरती)*

975

हम जुवां से जितने साफ़ हो गये ।

निगाहों में उतने न-ख़ास हो गये ।

खटक गये नजरों में दुनियां की,

चुभती कलेजे में फंसा हो गये ।

...."निश्चल"@....

976

हर्फ़ हर्फ़ कहानी लिखता गया ।

जिंदगी तुझे दीवानी लिखता गया। 

कर न सका इजहार प्यार का तुझसे ,

बस तुझे उम्र निशानी लिखता गया ।

....."निश्चल"@....

977

कोई नुक़्स निकाला न गया ।

 इश्क़ हम से सम्हाला न गया ।

डूबता रहा वो  उफ़्क के तले,

आफताब से पर उजाला न गया ।

...."निश्चल"@...

978

चाल चरित्र और चेहरे कब बदल जाएंगे ।

वक़्त के मुरशिद भी यह कह नही पाएंगे ।

चलेगी चूनर ओढ़कर धूप में भी चाँदनी ,

सितारे तपिश आफ़ताब में पिघल जाएंगे ।

.....विवेक दुबे"निश्चल"@...

979

अपनो की अब नज़र यही है ।

हिज़्र की कोई फिकर नही है ।

हो गये खुदगर्ज़ हम अब इतने ,

के गैरो में अपनो का जिकर नही है ।

.....विवेक दुबे"निश्चल"@.....

980

छलकायेगा पीयूष सोम गगन से, 

 जैसे जैसे साँझ ढलेगी ।

बिखरेगी किरणे निशिकर की , 

वसुधा मधुकर सँग रास रचेगी ।

  ....विवेक दुबे"निश्चल"@...

  981

मेरा नशा तो हल्का हल्का सा है ।

  जाने क्यों शहर में तहलका सा है ।

    देख कर नशा निगाह में साक़ी की,

    हर जाम पैमाने से छलका सा है ।

   वो दे गये हिसाब मेरे अहसानों का ,

  दस्तूर दुनियाँ का यूँ बदला सा है ।

 हँसता ही रह सहकर ज़ुल्म जमाने के,

  दर्द मेरे चेहरे से नही झलका सा है ।

      .... *विवेक दुबे"निश्चल"* ....

982

सीखना खत्म हुआ कब है ।

सीखाता रहता हर दम रब है ।

चलता मुसलसल मुसाफ़िर ,

  मंजिल पर पहुँचता तब है ।

...."निश्चल"@...

983

 न खत्म कर इरादों को कभी ,

एक जंग जीतने के बाद  ।

जिंदगी में जंग और भी है अभी,

 एक जंग जीतने के बाद ।

...."निश्चल"@...

984

जब इसी राह से गुजरना है ।

तब हालात से क्या डरना है ।

आयेगी मंजिल तभी हाथ में , 

जब हालात हाथ में करना है ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@...

985
भाग्य से आगे चल सकते नही ।
किस्मत को बदल सकते नही ।
लिख दिया रेखाओं में जो उसने ,
उससे कभी निकल सकते नही ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@....
986
मेरी कमियाँ जो उछालते रहे ।
हम उन्हें हरदम सम्हालते रहे ।
मनाते रहे जश्न ख़ामोशी का मेरी ,
जाने किस बात के मुग़ालते रहे ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@....
987
देखूँ मैं मेरे मुक़द्दर  में क्या है ।
मेरे सवालों के पीछे एक हांसिया है ।
वक़्त के काँटो में उलझा दामन मेरा ,
अपना दामन खुद ने ही सियां है ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@.....
988
क्यो चैन लूटता है कोई ।
क्यो हाल पूछता है कोई ।
है बेचैनियो से यारी यूँ ही ,
 अपना कब छूटता है कोई ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 7
Blogpost 22/2/21
989
वर्ष , हर वर्ष बदल जाते हो तुम ।
खामोशी से ,निकल जाते हो तुम ,
बदलकर , दुनियाँ को दुनियाँ से ,
ख़ुद ही ख़ुद में ,ढल जाते हो तुम ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@ ....
990
 शहीदों की बस इतनी सी कहानी है ।
 कुर्बान हो वतन पर जिंदगी लुटानी है ।
 शत शत नमन है सभी शहीदों को ,
 मिटकर भी मिटती नही निशानी है ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@.
991
  रोशनी दियों पर भी सवाल उछाले है ।
 देखो कैसे ये वतन को चाहने बाले है ।
 हो होंसला जीतने ज़िंदगी की जंग को ,
 जुगनुओं ने अंधेरो में उजाले निकाले है ।
    ..... विवेक दुबे"निश्चल"@...
992
अपनो का ही न साथ मिला ।
इतना ही तो हमे घात मिला ।
जयचन्द सी सत्ता की चाहत ,
पृथ्वी राज को कपट पास मिला ।
..."निश्चल"@...
डायरी 7
Blogpost 21/2/21

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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