971
मूल्य न हो जहाँ मूल्यों का ,
वहाँ नैतिकता क्या खास करें ।
बदल रहे हो जब अपने ही ,
गैरों से तब क्या आस करें ।
..."निश्चल"@..
972
सुरमई रोशनी के उजालों को ।
खोजती है निगाहें ख्यालों को ।
दूर तक बिखरा है आसमां ,
लिए साँझ के सवालों को ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@...
973
सुरमई रोशनी के उजालों में ।
खोजती है निगाहें ख्यालों में।
दूर तक बिखरा है आसमां ,
लिए साँझ को सवालों में ।
...विवेक दुबे"निश्चल"@ ..
974
दर्ज खामोशी में सवाल से ।
छुपे निग़ाह में मलाल से ।
बयाँ न कर सकी जुवां ,
अल्फ़ाज़ को *जमाल* से ।
...."निश्चल"@...
*जमाल(खूबसूरती)*
975
हम जुवां से जितने साफ़ हो गये ।
निगाहों में उतने न-ख़ास हो गये ।
खटक गये नजरों में दुनियां की,
चुभती कलेजे में फंसा हो गये ।
...."निश्चल"@....
976
हर्फ़ हर्फ़ कहानी लिखता गया ।
जिंदगी तुझे दीवानी लिखता गया।
कर न सका इजहार प्यार का तुझसे ,
बस तुझे उम्र निशानी लिखता गया ।
....."निश्चल"@....
977
कोई नुक़्स निकाला न गया ।
इश्क़ हम से सम्हाला न गया ।
डूबता रहा वो उफ़्क के तले,
आफताब से पर उजाला न गया ।
...."निश्चल"@...
978
चाल चरित्र और चेहरे कब बदल जाएंगे ।
वक़्त के मुरशिद भी यह कह नही पाएंगे ।
चलेगी चूनर ओढ़कर धूप में भी चाँदनी ,
सितारे तपिश आफ़ताब में पिघल जाएंगे ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@...
979
अपनो की अब नज़र यही है ।
हिज़्र की कोई फिकर नही है ।
हो गये खुदगर्ज़ हम अब इतने ,
के गैरो में अपनो का जिकर नही है ।
.....विवेक दुबे"निश्चल"@.....
980
छलकायेगा पीयूष सोम गगन से,
जैसे जैसे साँझ ढलेगी ।
बिखरेगी किरणे निशिकर की ,
वसुधा मधुकर सँग रास रचेगी ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
981
मेरा नशा तो हल्का हल्का सा है ।
जाने क्यों शहर में तहलका सा है ।
देख कर नशा निगाह में साक़ी की,
हर जाम पैमाने से छलका सा है ।
वो दे गये हिसाब मेरे अहसानों का ,
दस्तूर दुनियाँ का यूँ बदला सा है ।
हँसता ही रह सहकर ज़ुल्म जमाने के,
दर्द मेरे चेहरे से नही झलका सा है ।
.... *विवेक दुबे"निश्चल"* ....
982
सीखना खत्म हुआ कब है ।
सीखाता रहता हर दम रब है ।
चलता मुसलसल मुसाफ़िर ,
मंजिल पर पहुँचता तब है ।
...."निश्चल"@...
983
न खत्म कर इरादों को कभी ,
एक जंग जीतने के बाद ।
जिंदगी में जंग और भी है अभी,
एक जंग जीतने के बाद ।
...."निश्चल"@...
984
जब इसी राह से गुजरना है ।
तब हालात से क्या डरना है ।
आयेगी मंजिल तभी हाथ में ,
जब हालात हाथ में करना है ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...
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